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Showing posts from August, 2019

जानिए भगवान शिव ताण्डव क्यो करते है //AIBA//

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                              जय भोलेनाथ तीनो देवताओं में यदि किसी देव को सबसे शक्तिशाली माना जाता हैं, तो वह भोलेनाथ भगवान् शंकर ही हैं. यदि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की हैं, तो इस सृष्टि में संहार और नियंत्रण बनाना भगवान् शिव के हाथों में हैं. भगवान् शिव हर बार कई अवतार धारण कर के संसार के समस्त प्राणियों को कोई न कोई सिख देने के लिए आते हैं फिर वह चाहे हरिहर स्वरूप में आये या फिर अर्धनारेश्वर का रूप धारण करने की बात हो. उनके हर अवतार के पीछे एक कारण ज़रूर होता  हैं// जहाँ भगवान् भोलेनाथ के हरिहर स्वरूप की उत्पत्ति शिव सम्प्रदाय और वैष्णव सम्प्रदाय के बीच हुए विवादों के निपटारें के लिए हई थी, वही भोलेनाथ द्वारा धारण किये गए अर्धनारेश्वर अवतार को धारण कर भगवान् शिव लोगो को यह बताने चाहते थे कि नर-नारी दोनों एकदुसरे के पूरक हैं, दोनों को एकदूसरे की ज़रूरत समान रूप से हैं क्योकि दोनों एकसाथ रहकर ही स्वयं को पूर्ण कर पाते हैं. डिजिटल ब्राह्मण समाज में जुड़े आल इंडिया ब्राह्मण समाज की ऐप के माध्यम से | ऐप लिंक :-  (AIBA) All india Brahmin Association आल   इंडिया   ब्राह्म

राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी

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                           जय श्री राधे कृष्ण श्रीकृष्ण की प्रेम कहानी है। ऐसा इसलिए कि यह भौतिकता से परे था। आज भी कोई ही ऐसा श्रीकृष्ण का मंदिर होगा जिसमें राधा जी की मूर्ति न लगी हो। हालांकि, ये भी सच है कि कई जानकार राधा को काल्पनिक किरदार बताते हैं। ऐसा इसलिए कि राधा का जिक्र न तो महाभारत में है और न ही विष्णु पुराण या फिर भगवद गीता में ही इस संबंध में कुछ कहा गया है। वैसे, दशम स्कंद में महारास का वर्णन जरूर है और राधा का भी जिक्र है। ऐसे ही ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी राधा का जिक्र मिलता है। कुछ जगहों पर ऐसा भी जिक्र मिलता है कि कृष्ण की 64 कलाएं ही उनकी गोपियां थीं और राधा उनकी महाशक्ति थी। इसके मायने ये हुए कि राधा और गोपियां कृष्ण की ही शक्तियां थीं जिन्होंने स्त्री रूप लिया था। बहरहाल, सवाल उठता है कि राधा जी अगर काल्पनिक नहीं हैं तो उनका फिर क्या हुआ। आखिर कृष्ण से उनकी आखिरी मुलाकात कब हई और राधा जी की मृत्यु कैसे हुई। इसे लेकर कई कथाएं हैं, इसी में से एक वह है जिसका जिक्र हम यहां करने जा रहे हैं... कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद राधा का क्या हुआ राधा रेपाली नाम

क्यों बोलते है भगवान श्री श्याम को इस मंदिर में सांवलिया सेठ

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                               जय श्री श्याम आप नानी बाई के मायरे के बारे में तो अच्छी तरह जानते होंगे | जब सन्यासी  नरसी भक्त  को अपने बेटी नानी बाई का मायरा जोरो शोरो से भरना था तब उनकी लाज रखने के लिए उन्हें परम आराध्य देव श्री कृष्ण ने सांवर सेठ का वेश बनाकर नरसी जी को दर्शन दिए और उनके साथ ही मायरा भरने गये | वहा पहुँच कर उन्होंने शानदार मायरा भरा जो आज तक मिसाल बना हुआ है | उन्ही  सांवर सेठ  के लिए यशार्थ यह सांवलिया सेठ का यह मंदिर बना है | राजस्थान के सीमा पर विश्व प्रसिद्ध सांवलिया सेठ का यह मंदिर चित्तोड़गढ़ में मंडफिया में पड़ता है | यहा सांवलिया सेठ का भव्य मंदिर है | डिजिटल ब्राह्मण समाज में जुड़े आल इंडिया ब्राह्मण समाज की ऐप के माध्यम से | ऐप लिंक :-  (AIBA) All india Brahmin Association आल   इंडिया   ब्राह्मण   एसोसिएशन (AIBA) दिनेश शर्मा//9074543559 ब्राह्मणो का डिजिटल आशियाना आईबा ऐप शानदार फीचर्स के साथ | ऐप स्टोर करेने की प्रोसेस :- https://youtu.be/juncu69v3kw ऐप लिंक (डाउनलोड करे :- https://play.google.com/store/apps/details?id=com.samaj.brahman&hl

अपनी कामनायें पूरी करनी हों तो अवश्‍य करें खजराना गणपति मंदिर में दर्शन

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                               गणपति बप्पा खजराना मंदिर इन्दौर का प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यह मंदिर कुछ दूरी पर खजराना चौक के पास में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। मंदिर में भगवान गणपति की मुख्य मूर्ति केवल सिन्दूर द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में गणेश जी के अतिरिक्त माता दुर्गा जी, महाकालेश्वर की भूमिगत शिवलिंग, गंगा जी की मगरमच्छ पर जलधारा मूर्ति, लक्ष्मी जी का मंदिर, साथ ही हनुमान जी के भी मंदिर है।  गणेश जी के अतिरिक्‍त यहां पर शनि देव और साई नाथ का भी भव्य मंदिर विराजमान है। यही कारण है इस स्‍थान पर आने वाले इतने सारे देवताओं के बीच अपने को देवलोक में भ्रमण करता हुआ अनुभव करते हैं। मंदिर की सारी व्यवस्था बहुत ही उत्तम कोटि की है। इस मंदिर के बारे में एक कथा काफी प्रचलित है कि सन 1735 के करीब पंडित मंगल भट्ट के स्वप्न में गणेश जी आए थे, और उन्होंने इस स्थान से प्रकट होकर जनता का उद्धार करने की बात कही थी। इसके बाद एक कलश श्री गणेश प्रकट हुए और उनका मंदिर पूर्ण विधिविधान से स्थापित किया गया। तब से यहां देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालुजन अपन

मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है कब हुआ दोस्ती का जश्न जानिए ??

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मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है कब हुआ  दोस्ती का जश्न जानिए ?? happy friendship फ्रेंडशिप डे यह दिन दोस्तों के लिए सबसे बड़ा खास और अनमोल  दिन होता है. इस दिन मित्र  आपस में एक दूसरे को तोहफे  और फ्रेंडशिप  बैंड (दोस्ती का धागा) बांधकर इस दिन को सेलिब्रेट  करते हैं. यह दिन उन लोगों के लिए और भी  बहुत उपयोगी होता है. जो दोस्त को अपने से ज्यादा मानते हैं जिनके लिए दोस्त उनकी जिंदगी में बहुत ही मायने रखता है. बहुत से लोग होते हैं जिनके life में एक best friend होता है. जो उनके सभी दोस्तों में से खास होता है तो उन दोस्तों के लिए friendship day का दिन बड़ा ही खास होता है. इस दिन वह अपने best friend को gift देकर या उसके लिए कुछ special करके इस पल को यादगार बनाता है. और कभी ना टूटने वाली दोस्ती की कसम खाते हैं. विश्व मित्र दिवस यानी इंटरनेशनल  फ्रेंडशिप  डे  मनाने के दो कारण हैं जिन्हें लोग इस दिन को मित्रता दिवस मनाने का कारण मानते हैं. तो चलिए जानते हैं वह वजह क्या है जो इस दिन की शुरुआत का कारण बना  माना जाता है कि सन 1935 को अमेरिका में अगस्त महीने के पहले रविवार के दिन अमे